रेगिस्तान भी ” हरा ” होता हे..,
जब ” पर्श ” नोटों से भरा होता हे..!
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हमे पता था की उसकी मोहब्बत में ज़हर हैं ;
पर उसके पिलाने का अंदाज ही इतना प्यारा था की हम ठुकरा ना सके !
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लोग कहते है हम मुस्कराते बहुत है…
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते…
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गम में भी हम इस तरह जीते हैं
जैसे शादियों में लोग शराब पीते ह
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शायद ख़ुशी का दौर भी आ जाये एक दिन….
गम भी तो मिल गए थे तमन्ना किये बगैर… !
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बादलों से कह दो अब इतना भी ना बरसे….
अगर मुझे उनकी याद आ गई,
तो मुकाबला बराबरी का होगा….
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छीन लेता है हर चीज मुझसे …
ए खुदा…
क्या तू भी इतना गरीब है????
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इतनी पीता हू….
इतनी पीता हू की मदहोश रहता हू.
सब कुछ समझता हू पर खामोश रहता हू
जो लोग करते ह मुझे गिराने की कोशिश
मे अक्सर उन्ही के साथ रहता हू|.
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कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोगे… टूट कर बिखर्र जाओगे ।
जीना है तो पत्थर की तरह जियो;
जिस दिन तराशे गए… “खुदा” बन जाओगे ।।
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हकीकत में ये ख़ामोशी हमेशा चुप नहीं होती।
कभी तुम ग़ौर से सुनना ये बोहत क़िस्से सुनाती है।
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बुरा नहीं सोचा मैंने कभी भी किसी के लिए……
जिसकी जैसी सोच उसने वैसा ही जाना मुझे ..
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तेरी महफिल से उठे तो किसी को खबर तक नही थी !
तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमे बदनाम कर गया …
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“जाने कब-कब किस-किस ने कैसे-कैसे तरसाया मुझे,
तन्हाईयों की बात न पूछो महफ़िलों ने भी बहुत रुलाया मुझे”
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कैद कर दिया सापों को ये कहकर सपेरे ने.
बस अब ईन्सानो को डसने के लिये ईन्सान काफी है.
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ला तेरे पेरों पर मरहम लगा दूं…
कुछ चोट तो तुझे भी आई होगी मेरे दिल को ठोकर मार कर…!!!
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उनसे कहना कि किस्मत पे इतना नाज़ ना करें,
हमने बारिश में भी जलते हुए मकान देखें हैं
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मौत का आलम देख कर तो ज़मीन भी दो गज़ जगह दे देती है…
फिर यह इंसान क्या चीज़ है जो ज़िन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता…
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ये मुकरने का अंदाज़ मुझे भी सीखा दो
वादे नीभा-नीभा के थक गया हूँ मैं…
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“दीदार की ‘तलब’ हो तो नज़रे जमाये रखना ‘ग़ालिब’
क्युकी, ‘नकाब’ हो या ‘नसीब’…..सरकता जरुर है.”
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ऐ अंधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया ….
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया …
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खामोश हो पर चुप नहीं तुम…
ये आंखें तुम्हारी बहुत बोलती है
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ं
कितनी सदियों के बाद मिले हो,
वक़्त से क्यों, इतना छिले हो!!!?
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इक ज़ख़्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं,
ऐ इश्क़ अभी तक तेरे जंजाल में हम हैं।
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खुदा भी अब मुझसे बहुत परेशान है……
रोज़ रोज़ जब से दुआ में तुझे मांगने लगा हूँ….!!
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मालूम होता है भूल गए हो शायद…….
या फिर कमाल का सब्र रखते हो…..!!
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कब ठीक होता है हाल किसी के पूछने से…..
बस तसल्ली हो जाती है कोई फिकरमंद है अपना…..!!
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आज फिर बैठे है इक हिचकी के इंतजार में…….
पता तो चले कब हमें याद करते है…..!!
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वजह पूछोगे उम्र गुज़र जाएगी………
कहा न अच्छे लगते हो तो बस लगते हो ..!!
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मुस्करा के जो देखा तो कलेजे में चुभ गये………
खँजर से भी तेज लगती हैं आँखे जनाब की…..!!
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न जाने क्यूं हमें इस दम तुम्हारी याद आती है……
जब आंखों में चमकते हैं सितारे शाम से पहले…!!
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“ना मुस्कुराने को जी चाहता है,
ना आंसू बहाने को जी चाहता है,
लिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद में,
बस तेरे पास लौट आने को जी चाहता है.”
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कुछ ना रहा पास तो रख ली संभाल कर तन्हाई
.
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ये वो सल्तनत है जिसके बादशाह भी हम
वज़ीर भी हम और फ़क़ीर भी हम………
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ना रख इतना गरूर ..अपने नशे में ए शराब,
तुझ से जयदा नशा रखती है, आँखें किसी की..
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“इस कदर हर तरफ तन्हाई है,
उजालो मे अंधेरों की परछाई है,
क्या हुआ जो गिर गये पलकों से आँसू,
शायद याद उनकी चुपके से चली आई है
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“तू देख या न देख,; तेरे दॆखनॆ का गम नहीं,
पर तेरी यॆ ना दॆखनॆ की अदा दॆखनॆ से कम नहीं ..”
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सामने मंजिल थी और, पीछे उसका वज़ूद…क्या करते, हम भी यारों.
रूकते तो सफर रह जाता… चलते तो हमसफर रह जाता…”
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हजारों झोपड़िया जलकर राख होती हैं,
तब जाकर एक महल बनता है.
आशिको के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता,
हसीनाओं के मरने पर “”ताज महल”” बनता है.
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माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं
लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा गुजरता है…
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मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशें अधूरी हैं…
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी हैं…!!
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हम बने थे तबाह होने के लिए……
तेरा छोड़ जाना तो महज़ इक बहाना था….!!
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मैं आपकी नज़रों से नज़र चुरा लेना चाहता हूँ,
देखने की हसरत है बस देखते रहना चाहता हूँ ।
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दर्द तन्हाँ कभी नहीं रहता
ये तुझे, मुझमें तलाश लेता है
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तुम से जिद करते तो हम मांगते क्या…!
खुद से जिद करके तो तुमको मांगा था …
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रुक गया है आसमान में चाँद चलते चलते……
अब तुम्हें, छत से उतरना चाहिए….
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खुद को लिखते हुए हर बार लिखा है ‘तुमको’ …
इससे ज्यादा कोई जिंदगी को क्या लिखता…!!
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उसने पूछा कि कौनसा तोहफा है मनपसंद?
…….
मैंने कहा वोह शाम जो अब तक उधार है…!!
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जो हम में तुम हो और तुम में हम..
तो बताओ, बीच में है काहे का वहम !
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उनकी ना थी खता, हम ही कुछ गलत समझ बैठे यारों……
वो मुहब्बत से बात करते थे, तो हम मुहब्बत समझ बैठे….. !!
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ऐ ज़िन्दगी मुझे तोड़ कर ऐसे बिखेर अब की बार…….
ना खुद को जोड़ पाऊँ मै, ना फिर से तोड़ पाये वो…..!!
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गल्हतफ़हमी की गुंजाईश नहीं सच्ची मुहब्बत में………
जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है…….!!
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मेरी थर्ड क्लास शायरी के क़द्रदानों,
फ़र्स्ट क्लास शुक्रिया तो क़बूल करो…
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जिंदगी से कोई चीज़ उधार नहीं मांगी मैंने….
कफ़न भी लेने गए तो जिंदगी अपनी देकर….!!
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कुछ ज़ख्म सदियों बाद भी ताज़ा रहते है……
वक़्त के पास भी हर मर्ज़ की दवा नहीं होती…!!
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हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी…..
लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने की खातिर….!!
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मेरा कत्ल करके क्या मिलेगा तुमको…….
हम तो वैसे भी तुम पर मरने वाले हैं ….!!
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खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं………
ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं….!!
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सूखे होठो से ही होती हैं प्यारी बातें …
प्यास बुज़ जाये तो इंसान और अल्फाज़ दोनो बदल जाते हैं ..!!
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“हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं”
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होठों ने सब बातें छुपा कर रखीं ……
आँखों को ये हुनर… कभी आया ही नहीं ……
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मैं वो शखश नही जो दिल पे खंजर न ले सकूं,
तुम ईतना ईमान रखना, सामने से वार करना…
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पूछा जो हमने किसी और के होने लगे हो क्या ?
वो मुस्कुरा के बोले … पहले तुम्हारे थे क्या .?
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हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह…
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..
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करनी है खुदा से गुजारिश
तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले,
हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा
या फिर कभी जिंदगी न मिले।
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‘हम वो हैं जो हार कर भी यह कहते हैं;
वो मंज़िल ही बदनसीब थी, जो हमें ना पा सकी;
वर्ना जीत की क्या औकात; जो हमें ठुकरा दे..
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हर एक इंसान हवा में उडा फिरता है…
फिर न जाने धरती पर इतनी भीड़ क्यों हैl
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किसी ने ग़ालिब से कहा :
सुना है जो शराब पीते हैं उनकी दुआ कुबूल नहीं होती !!
ग़ालिब बोले :
जिन्हें शराब मिल जाए उन्हें किसी दुआ की ज़रूरत नहीं होती ।।……….
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पाना है जो मुकाम वो अभी बाकी है.
अभी तो आए है जमीं पर .
आसमान की उडान अभी बाकी है.
अभी तो सुना है लोगो ने सिर्फ मेरा नाम.
अभी इस नाम कि पहचान बनाना बाकी है…
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जाम पे जाम पीने का क्या फ़ायदा,
शाम को पी सुबह उतर जाएगीm,
अरे दो बून्द दोस्ती के पी ले
ज़िन्दगी सारी नशे में गुज़र जाएगी..
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कौन कहता है कि दिल सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है..
तेरी खामोशी भी कभी कभी आँखें नम कर देती हैं … !!
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चाँद ने की होगी सूरज से महोब्बत इसलिए तो चाँद मैं दाग है
मुमकिन है चाँद से हुई होगी बेवफ़ाई इसलिए तो सूरज मैं आग है
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मुहब्बत तो दिल देकर, की जाती है मेरे दोस्त।
चेहरा देखकर तो लोग,सिर्फ सौदा करते हैँ।..
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दोस्ती का रिश्ता पुराना नहीं होता;
इससे बड़ा ख़जाना नहीं होता;
दोस्ती तो प्यार से भी पवित्र है;
क्योंकि इसमें कोई पागल या दीवाना नहीं होता।
क्यों मुश्किलों में साथ देते हैं दोस्त;
क्यों गम को बांट लेते हैं दोस्त;
न रिश्ता खून से न रिवाज से बंधा;
फिर भी जिंदगी भर साथ देते हैं दोस्त।
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जनाजा इसीलिए भी भारी हे मेरा..
कि सारे अरमान साथ लिये जा रहा हूँ ।
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यूँ ना बर्बाद कर मुझे, अब तो बाज़ आ दिल दुखाने से ।
मै तो सिर्फ इन्सान हूँ, पत्थर भी टूट जाता है, इतना आजमाने से ।
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खुद में काबिलियत हो तो भरोसा कीजिये साहिब।
सहारे कितने भी अच्छे हो साथ छोड जाते है।
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे…
पता नही था की ‘किमत चेहरों की होती है..!!’
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वफादार और तुम…?? ख्याल अच्छा है,
बेवफा और हम…?? इल्जाम भी अच्छा है…
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बोतल में थी तो खामोश थी..
अन्दर गयी तो बवाल हो गयी..
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ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते ह
ै
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है ….
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“जिंदगी में हद से ज्यादा ख़ुशी और हद से ज्यादा गम का कभी किसी से इज़हार मत करना,
क्योंकि, ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है, हद से ज्यादा ख़ुशी पर ‘नज़र’ और हद से ज्यादा गम पर ‘नमक’ लगाती है.”
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पानी दरिया में हो या आँखों में ,
गहराई और राज़ दोनोंमें होते हैं!!
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ऐ दोस्त तुम पे लिखना शुरू कहा से करूँ?
अदा से करूँ या हया से करूँ?
तुम्हारी दोस्ती इतनी खुबसूरत है.
पता नहीं की तारीफ जुबा से करू या दुआ से करूँ?…..
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क़ब्रों में नहीं हमको किताबों में उतारो,,
हम लोग मुहब्बत की कहानी में मरे हैं..!!
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अगर भगवान नहीं हैं
तो जिक्र क्यों. ..?
और अगर भगवान हैं
तो फिर फिक्र क्यों. ..!!
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अजीब शख्स है.. इश्क मे खुशियां तलाशता है….
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हर एक इंसान हवा में उडा फिरता हैं…
फिर न जाने धरती पर इतनी भीड़ क्यों है?
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मयखाने बंद कर दे चाहे लाख दुनिया वाले ,,,
लेकिन!!!!!
शहर में कम नही है, “”निगाहों”” से पिलाने वाले !!!…
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उम्मीद वर्षों से दहलीज़ पर खडी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानों में धीरे से कहती है;
“सब अच्छा होगा”
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शौक था अपना-अपना..
किसी ने इश्क किया,
तो कोई जिंदा रहा…
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” तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी..,
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे….”
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हम तो मशहुर थे अपनी तनहाइयों के लिए ,
मुद्तों बाद किसीने पुकारा है,
एक पल तो हम रुक कर सोचने लगे,
कया यही नाम हमारा है ?
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बिकने वाले और भी हैं, जाओ जा कर ख़रीद लो हम ‘कीमत’ से नहीं ‘क़िस्मत’ से मिला करते हैं.
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कुछ ऐसी मुह्हबत उसके दिल में भर दे या रब।।
वो जिसको भी चाहे वो “मैं” बन जाऊं।।
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“तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है, खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है, फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ दर्दे दिलवालों, यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है”
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ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो….
आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें..
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वोह भी
बेवफ़ा निकले,
औरों की तरहा..
सोचा था की उनसे
ज़माने की बेवफ़ाई का गीला करेंगे..!!
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ईस राह-ऐ-मुहब्बत की बस बात ना पूछिये..
अनमोल जो ईंनसान थे, बे-मोल बीक गये.!
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तेरी तलाश में निकलू भी तो क्या फायदा…
तुम बदल गए हो…
खो गए होते तो और बात थी….
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जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!
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“हमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहीं,,
और बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम”!!
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मोहब्बत कब हो जाए किसे पता..
हादसे पूछ के नही हुआ करते …
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सब कुछ किया पर नाम ना हुआ,
महोबत क्यां करली बदनाम हो गए।
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उसकी आँखों में नज़र आता है सारा जहां मुझ को;
अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा।
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उसने मुज से पुछा..मेरे बिना रह लोगे..??
सांस रुक गई..और उन्हें लगा..हम सोच रहे है..
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दावे मोहब्बत के मुझे नहीं आते यारो ..
एक जान है जब दिल चाहे मांग लेना ..
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जरुरी नहीं रौशनी चिरागो से ही हो.
बेटियां भी घर मैं उजाला करती हैं..
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लम्हों की दौलत से दोनों महरूम रहे ,
मुझे चुराना न आया, तुम्हें कमाना न आया
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ये संगदिलों की दुनिया है;
यहाँ संभल के चलना ग़ालिब;
यहाँ पलकों पे बिठाया जाता है;
नज़रों से गिराने के लिए।
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ये जमीनकी फ़ितरत है की हर चिजको सोख लेती है ,,,
वर्ना ,,
इन आँखों से गिरनेवाले आंसुऔ का एक अलग समंदर होता !!!
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मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने,
तेरे ही मंदिर में,
तेरी ही मस्जिद में,
तेरे ही बंदे,
तेरे ही सामने रोते हैं,
तुझे नहीं, किसी और को पाने के लिए…!
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अब किसी और से मुहब्बत करलू तो शिकायत मत करना…।।
ये बुरी आदत भी मुझे तुमसे ही लगी है…..।।
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टूट कर भी कम्बख्त धड़कता रहता है ,मैने इस दुनिया मैं दिल सा कोई वफादार नहीं देखा। ……
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अगर यूँ ही कमियाँ निकालते रहे आप….
तो एक दिन सिर्फ खूबियाँ रह जाएँगी मुझमें….
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मतलबी दुनिया के लोग खड़े हैं, हाथो में पत्थर लेकर,
मैं कहा तक भागू शिशे का मुकद्दर लेकर..
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वो बचपन कितना सुहाना था सर ए आम रोया करते थे …
अब एक आँसू भी गिरे तो लोग हजारों सवाल करते है….
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ं
“आवारगी छोड़ दी हमने
तो लोग भूलने लगे है
वरना
शोहरत कदम चूमती थी
जब हम बदनाम हुआ करते थे…”
********
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