Hindi Shayri Part 1

“अगर मिलती मुझे एक दिन की बादशाही..

तो ऐ दोस्तों…

मेरी रियासत में तुम्हारी तस्वीर के सिक्के चलते…”

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धोखा दिया था जब तूने मुझे. जिंदगी से मैं नाराज था,
सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं. मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था….ं

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खुद पे भरोसा है तो खुदा साथ है
अपनो पे भरोसा हे तो दुआ साथ है
जिदंगी से हारना मत ऐ दोस्त
ज़माना हो ना हो
ये दोस्त तेरे साथ ह

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मैखाने से दीवानों का रिश्ता है पुराना
दिल मिले तो मैखाना दिल टूटे तो मैखाना”

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तुम न रख सकोगे मेरा तोहफा संभालकर

वरना मै अभी दे दूँ, जिस्म से रूह निकालकर

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भरी जेब ने ‘ दुनिया ‘ की पहेचान mujh se करवाई…
और
खाली जेब ने ‘ इन्सानो ‘ की……

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कभी ऐसी भी बेरुखी देखी है तुमने

“”एय दिल “”

लोग आप से तुम ,
तुम से जान ,
और जान से अनजान हो जाते हैं…

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सुनो, आज खुशी मिली थी डिबिया में बंद कर के रख ली है

तुम मिलोगें, तो मिल-बाँट के खायेगें, नहीं तो शायद मीठी न लगे !!

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मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।

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बर्बाद कर के मुझे उसने पूछा, करोगे फिर मुहब्बत मुझसे ?………

लहू लहू था दिल मगर होंठों ने कहा…”इंशा-अल्लाह”….!!

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कुछ सही तो कुछ खराब कहते हैं,
लोग हमें बिगड़ा हुआ नवाब कहते हैं,

हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर,
की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं…!!!

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कुछ करना ही है तुझको तो ये करम कर दे .. मेरे खुदा तू मेरी ख्वाहिशों को ही कम कर दे.. !

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हम इजहार करने मे ,
थोडे ढीले हो गए ।
और इस बीच उन के,
हाथ पीले हो गए.

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बस इतना ही कहा था मैने की बरसों से हैं प्यासे …… होंठ पे रख के होंठ उसने खामोश कर दिया हमें

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मुझको क्या हक…
मैं किसी को मतलबी कहूँ,

मै खुद ही ख़ुदा को…
मुसीबत में याद करता हूँ

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लोग शोर से जाग जाते हैं,

मुझे तुम्हारी खामोशी सोने नहीं देती ! ! !

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फकीर हूँ सिर्फ तुम्हारे दिल का,
बाकी दुनिया का तो सिकन्दर ही हु….

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हथेलिया भर भर के दर्द न दे मुझे,
दर्द के समंदर ले बैठा हूँ में….

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कदम रुक से गए आज फूलो को बिकता देख …
वो अक्सर कहा करते थे की प्यार फूलो जैसा होता हें…

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एक कब्र पर लिखा था…

“किस को क्या इलज़ाम दूं दोस्तो,
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे और दफनाने वाले भी अपने थे..”

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मेरी मंज़िल मेरी हद ।
बस तुमसे तुम तक ।।
ये फ़क्र है कि तुम मेरे हो ।
पर फ़िक्र है कि कब तक ।।

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बहुत आसान है पहचान इसकी
अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो
इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे,थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो , सीधे चले तो पींठ में खंज़र भी आयेंगे…..
अगर है दम तो चल डुबा दे मुजको,

समंदर नाकाम रहा, अब तेरी आँखो की बारी.
नजर में बदलाव है उनकी, हमने देखा है आजकल !

एक अदना सा आदमी भी , आँख दिखा जाता है !!
ना इतना चाह मुझे की तेरा तलब्दार बन जाऊ,
तेरी मोहब्बत दीवानगी का में हकदार बन जाऊ,
मेरे मुक़द्दर तक़दीर की तू परवाह ना किया कर,
ऐसा ना हो की में खुद तुझ में तेरी तस्वीर बन जाऊ…
क्या फर्क है दोस्ती और मोहोब्बत में,
रहते तो दोनों दिल में ही है…?

लेकिन फर्क तो है…..

बरसो बाद मिलने पर दोस्ती सीने से लगा लेती है,
और मोहोब्बत नज़र चुरा लेती है…!!
दिन तो कट जाता है शहर की रौनक में ,
कुछ लोग याद बहुत आते है दिन ढल जाने के बाद…
ये वक़्त बेवक़्त मेरे ख्यालों में आने की आदत छोड़ दो तुम,
कसूर तुम्हारा होता है और लोग मुझे आवारा समझते हैं..!!
“सुनकर ज़माने की बातें , तू अपनी अदा मत बदल,,
यकीं रख अपने खुदा पर,,यूँ बार बार खुदा मत बदल……!!
तुमने कहा था हर शाम तेरे साथ गुजारेगे,

तुम बदल चुके हो या फिर तेरे शहर में
शाम ही नहीं होती?
तेरी मोहब्बत की तलब थी तो हाथ फैला दिए वरना,

हम तो अपनी ज़िन्दगी के लिए भी दुआ नहीं करते…
ये कफ़न, ये कब्र, ये जनाज़े,
सब रस्म ऐ दुनिया है दोस्त,
मर तो इन्सान तब ही जाता है,
जब याद करने वाला कोई ना हो.
“हम अपने पर गुरुर नहीं करते,
याद करने के लिए किसी को मजबूर नहीं करते.
मगर जब एक बार किसी को दोस्त बना ले,
तो उससे अपने दिल से दूर नहीं करते.”
क्या फर्क है दोस्ती और मोहोब्बत में,
रहते तो दोनों दिल में ही है…?

लेकिन फर्क तो है…..

बरसो बाद मिलने पर दोस्ती सीने से लगा लेती है,
और मोहोब्बत नज़र चुरा लेती है…!!
अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का,
शिकवा है खुद के खामोश रह जाने का,
दीवानगी इस से बढकर और क्या होगी,
आज भी इंतजार है तेरे आने का.

सफ़र मोह्हबत का करके तो देखो इंतजार हमसफ़र का करके तो देखो समझ जायेंगे प्यार को तुम्हारे एक बार दिल से इज़हार तो करके देखो
“रफ़्तार कुछ ज़िन्दगी की यूँ बनाये रख ग़ालिब,
कि
दुश्मन भले आगे निकल जाए
पर
दोस्त कोई पीछे न छूटे…….
फ़लक पर कबूतर दिखे जब कभी,

बहुत याद आयीं तेरी चिठ्ठियाँ..
फिर से मुझे मिट्टी में खेलने दे खुदा ,……………

ये साफ़ सुथरी ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी नहीं लगती।
“लोग कहते हैं पिये बैठा हूँ मैं,
खुद को मदहोश किये बैठा हूँ मैं,
जान बाकी है वो भी ले लीजिये,
दिल तो पहले ही दिये बैठा हूँ मैं”
पाना है जो मुकाम वो अभी बाकी है.
अभी तो आए है जमीं पर . आसमान की उडान अभी बाकी है.
अभी तो सुना है लोगो ने सिर्फ मेरा नाम.
अभी इस नाम कि पहचान बनाना बाकी है….
वो इस कमाल से खेले थे इश्क की बाजी …..!!
मैं अपनी फतह समझता रहा मात होने तक…!!!
“जब इश्क और क्रांति का अंजाम एक ही है तो राँझा बनने से अच्छा है भगतसिंह बन जाओ”
अजीब था उनका अलविदा कहना !सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं! ँ बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में, की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीँ !
मुस्कुराना तो मेरी शख्सियत
का एक हिस्सा है दोस्तों…..
तुम मुझे खुश समझ कर
दुआओ में भूल मत जाना….
“डर मुझे भी लगा फांसला देख कर;
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर;
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई;
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर।”

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क़दर किरदार की होती है… वरना…
कद में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है..

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बेगाना हमने नही किया किसी को अपने से,
जिसका दिल भर गया वो छोड़ता चला गया….

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बेखबर हो गए है कुछ दोस्त हमसे,
जो हमारी ज़रूरत को महसूस नहीं करते.

कभी बहुत बातें किया करते थे हमसे,
अब खेरियत तक नहीं पूछते…!!!

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वो कतरा बनके हुए आपे से बाहर …
मैँ दरिया होकर भी अपनी औकात मेँ हूँ” …

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हुनर-ओ-इश्क अब सीख कर आया हूँ………
चलो फिर से खेल दिल का खेलते है…..!!

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खुदा भी अब मुझसे बहुत परेशान है……
रोज़ रोज़ जब से दुआ में तुझे मांगने लगा हूँ….!!

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तुम बहुत दिल-नशीन थे मगर…….
जब से किसी और के हो गए हो….ज़हर लगते हो…..!!

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इस कदर शिद्दत से चाहा था मैने उसको यारो…….
अगर दुश्मन भी होता तो ानिभाता उम्रभर……!!

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न जाने क्यूं हमें इस दम तुम्हारी याद आती है……
जब आंखों में चमकते हैं सितारे शाम से पहले…!!

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खेल रहा हूँ इसी उम्मीद पे मुहब्बत की बाजी…….
कि एक दिन जीत लेंगे उन्हें, सब कुछ हार के अपना….!!

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लगता है इस बार मुझे मोहब्बत होकर ही रहेगी,
आज रात ख्वाब में मैंने खुद को बरबाद होते देखा है….

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हम भी अक़्सर इन फूलो  कि तरह तन्हा रहते हैँ..
कभी ख़ुद टूट जाते है, कभी लोग हमे तोड़ जाते है..

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ऊँची इमारतों में छुप गया मकान मेरा……..
कुछ लोग मेरे नसीब का… सूरज भी ले गए….

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ठंड के कहर में, वो फकीर भी मर गया….
जो एक रुपये में,लाखों की दुआएँ देता था.

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अपनी दोस्ती का बस
इतना सा असूल है…

ज़ब आप कुबूल है तो
आपका सब कुछ कुबूल है..

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मेरा नसीब कहता है
मेरे हाथों की लकीरों में
हर तरफ
तेरा नाम लिखा है
फिर
तूँ मेरे साथ
क्यूं नहीं है
या तो
लकीरों का
इम्तहान ले रही है
या फिर
खुद के हाथ से
मेरा नाम मिटा
रही है !!!!!

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इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं,
मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।

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मगरूर हमें कहती है तो कहती रहे दुनिया,
हम मुड़ कर पीछे किसी को देखा नहीं करते…

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बस यही मासूम सा रिश्ता है तुमसे,
कि शामिल रहते हो, मेरी हर दुआ में..|

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कभी तो यकीन कर लो तुम मेरी मोहब्बत का,
कहीँ उमर न गुज़र जाये मुझे आज़माने मेँ…

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कुछ करना ही है तुझको तो ये करम कर दे ..
मेरे खुदा तू मेरी ख्वाहिशों को ही कम कर दे. !

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दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभ…
भीड़ तो बस फ़र्ज़ अदा करती है..

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इस कदर भूखा हूँ ऐ मेरे दोस्तों..
कि आजकल धोखा भी खा लेता हूँ!!

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भूख रिश्तों को भी लगती है,
प्यार परोस कर तो देखिये…….!

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वो सो जाते हे अक्सर हमें याद् किये बगैर,
हमें नींद भी नहीं आती उनसे बात किये बगैर.

कसूर उनका नहीं हमारा है….
उन्हें चाहा भी तो उनकी इजाज़त के बगैर……!!

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हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरिका बताता है।
उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है मेरा…
वरना जीना तो मुझे भी आता है.

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कुछ ईस तरह झटकाइ उसने अपनी गीली जुल्फे नहाने के बाद दोस्तों

की आज सारे शहर में बारिश का मौसम छा गया……..

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अगर प्यार में पैसे की अहमियत
नहीं होती तो हर कहानी में
लड़की के ख्वाबों में कोई राजकुमार
ही क्यों होता है?
कभी सुना है कि “मेरे सपनों का मोची,
बारात ले कर आएगा” ???….

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ये वक़्त बेवक़्त मेरे ख्यालों में आने की आदत छोड़ दो तुम,
कसूर तुम्हारा होता है और लोग मुझे आवारा समझते हैं..!!

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ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो….
आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें.

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गिरा दे जितना पानी है तेरे पास ऐ बादल.

ये प्यास किसी के मिलने से बुझेगी तेरे बरसने से नही।

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किसी को मिल गया मौका, बुलन्दियों को छूने का,
मेरा नाकाम होना भी किसी के काम तो आया।

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मुस्करा के जो देखा तो कलेजे में चुभ गये………
खँजर से भी तेज लगती हैं आँखे जनाब की…..!!

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मैं जानता हूँ …. फिर भी पूछता हूँ …
तुम आईना देख कर बताओ … मेरी पसंद कैसी हैं .…

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ना जाने इस ज़िद का नतीजा क्या हो…..
समझता दिल भी नहीं, वो भी नहीं,मैं भी नहीं….!!

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आदत मुझे अँधेरों से डरने की डाल कर……..
कोई मेरी जिंदगी को रात कर गया…..!!

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मुझे देख कर तेरी हैरानी लाज़मी है…..
इस दौर में इंसान कम ही मिला करते हैं…!!

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है तमन्ना फिर, मुझे वो प्यार पाने की…….
दिल है पाक मेरा , ना कोशिश कर आज़माने की …!!

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तेरी इस बेवफ़ाई पे फिदा होती है जान मेरी….
खुदा ही जाने… अगर तुझमें
वफ़ा होती तो क्या होता…!!

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“गलत कहेते है लोग की सफेद रंग मै वफा होती है…दोस्तो…!!!!

अगर ऐसा होता तो आज “नमक” जख्मो की दवा होता…..”

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“कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला,
जरूरत ही सब कुछ है,मुहब्बत कुछ नहीं होती ।”

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बडी खामोशी से भेजा था गुलाब उसको…
पर खुशबू ने शहर भर में तमाशा कर दिया.

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तू रूठा रूठा सा लगता है
कोई तरकीब बता मानाने की

मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा
तू क़ीमत बता मुस्कुराने की

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कुछ सही तो कुछ खराब कहते हैं,
लोग हमें बिगड़ा हुआ नवाब कहते हैं,
हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर,
की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं…!!!

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कितना भी चाहो ना भूला पाओगे
हमसे जितना दूर जाओ नज़दीक पाओगे
हमे मिटा सकते हो तो मिटा दो
यादें मेरी, मगर….
क्या सपनो से जुदा कर पाओ गे हमे!!

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अब तुझे रोज़ ना सोचें तो तड़प उठते हैं हम…..!
एक उम्र हो गयी है तेरी याद का नशा करते करते….!!

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जिंदगी में दोस्त बहुत कम मिलेंगे,
हर मोड़ पे गम ही गम मिलेंगे.
जिस मोड़ पे आपको छोड़ देगी ये दुनियाँ,
उस मोड़ पे आपको सिर्फ़ हम मिलेंगे.

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कसूर मेरा था तो कसूर उनका भी था,
नज़र हमने जो उठाई थी तो वो झुका भी सकते थे…”

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तुम छत पे ना जाया करो……..
शहर मेँ बेवजह, ईद की तारीख बदल जाती है…

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तुम खुश-किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है…

वरना,

हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है…!!

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अजीब कशमकश थी, कि जान किसको दे,

वो भी आ बैठे थे, और मौत भी…….

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“कल किसी और ने खरीद लिया तो शिकायत ऩ करना,
इसलिए आज हम सबसे पहले तेरे शहर मे बिकने आये है.”

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तनहा रहेने का भी अपना मज़ा है दोस्तों…….

यकीन होता है की कोई छोड़कर नहीं जायेगा,
और
उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की…!!

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